आज का डरा हुआ विश्व और सहमा सा रंगमंच !
डर..! डर हम इंसानो कि सबसे मजबूत और पुरानी सटीक भावना है l सबसे प्राचीन और सबसे मजबूत डर अनदेखे भविष्य का डर है ! अमरिका के मशहूर लेखक हॉवर्ड फिलिप्स लवक्राफ्ट ने इस बात को साझा किया जब वे खुद कि निजी जिंदगी में इसका अनुभव कर चुके थे l
इतिहास के अस्तित्व में आने से बहोत पहले मनुष्यो का अस्तित्व था l प्रागैतिहासिक मनुष्यो के बारे में जानने लायक सबसे महत्वपूर्ण बात ये है के वे मामुली प्राणी थे, जिनका अपने पर्यावरण पर गुरील्लाओं, जुगनूओं या मछली से ज्यादा प्रभाव नही था l आज का मनुष्य इन् सबसे कई गुना आगे सोचने लगा हैl
आज पुरी दुनिया लॉक डाऊन में जी रही है.. सब कूछ जैसे थम स गया हैl इन्सान की ये फितरत हि नही के वो कई दिनो तक एकही जगह बैठा रहेl मगर हमारी खुद कि गलती को हमे खुद को हि मिटाना होगा, संयम और सतर्कता से l आज के जमाने में सोशल नेट्वर्किंग कि वजह से कम से कम एक दुसरे से संपर्क तो कर सकते है, जानकारी पहुंचा सकते हैl युवाल नोआ हरारी कि माने तो हम अपनी जबरदस्त बुद्धिमत्ता को लेकर बोहोत आसक्त है, हम मानते है कि जहां तक दिमागी शक्ती का सवाल है, वह जितनी ज्यादा हो उतनी हि अच्छी है, लेकीन ऐसा है नही; और अगर ऐसा होता तो बिल्लीयो कि प्रजाती ने कूछ ऐसी बिल्लीयो को उत्पन्न किया होता जो Calculus कर सकती l
हाल ही में पुरा विश्व फिर से एक बार ‘Black Death’ कि तरफ बढ रहा है l ‘ब्लैक डेथ’ अक्तूबर १३४७ में युरोप में काले समुंदर कि दुरी तय कर के व्यापारियो कि जहाजो से निकली प्लेग कि महामारी थी l करीब करीब एक दर्जन जहाज किनारे तो लगे मगर उनमे से कोई बाहर न निकला l किनारो पर खडे लोगो के कूछ समझ में नही आ रहा था l कूछ देर बाद जब किनारो पर इंतजार कर रहे लोग जहाज पर चढे तो उनके होश उड गये l जहाजो में मिली लाशे और लाशो में कूछ जिंदा लोग जो किसी तऱह जिने कि उम्मीद लगा बैठे थे l वे सभी मौते प्लेग के कारण हुई थी l जहाज पर संवार हो कर आइ ये महामारी धीरे-धीरे युरोप के कई हिस्सो में फैल गई और तकरीबन आधी आबादी को खतम कर दिया l ये बिमारी वही से फैलकर समुचे विश्व में पहुंची l इस घटना के कई सालों बाद भारत कि प्रथम महिला अध्यापिका सावित्रीबाई फुले इनका निर्वाण भी प्लेग जैसी बिमारी के कारण हि हुआ था l इस महामारी से समुचे युरोप कि हालत काफी खस्ता हो गई l प्राकृतिक आपदासे बिमारियो का जैसा असर दुसरे देशो में था, युरोप में भी वैसा हि था l लोगो को खाने-पिने जैसी संसाधनो कि किल्लत उठानी पडी l जिनके पास अनाज था वें ३०० प्रतिषद तक दाम बढाचढा कर बेचने लगे l जिनके पास साधन नही था वे भूखो मरने मजबूर थे l लाखो लोगो कि भूख के चलते तडप-तडप के मौत हो गई थी l
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आज कि तरह तब भी ये महामारी चीन से हि आयी थी सन १३४० के बाद जब चीन में ये कहर बरपा तब ये चीन कि सरहद तक सिमट कर नही रहा और व्यापार में सहुलीयत के लिहाज से मध्य-एशिया, एशिया और दक्षिण युरोप के बीच संपर्क स्थापित करने के लिये सदियो पूर्व, थल और जल मार्ग विकसित किया गया था, जिसे ‘Silk Road’ कहा जाता था l ‘सिल्क रोड’ इसलिये क्यो के उसी मार्ग से सिल्क का व्यापार हुआ करता था, और इसी मार्ग के जरीये प्लेग जैसी महामारी भारत पहुंची थी l आज ये हवाई मार्ग से भारत और अन्य जगह फैल गया है l जब के उस वक़्त इतने प्रगत राष्ट्र नही थे l आज पुरी दुनिया में विज्ञान काफी आगे जा चुका है मगर कोरोना जैसे विषाणू से पुरे विश्व के वैज्ञानिक परेशान है, खोज रहे है जब के दुनियाभर के प्रगत राष्ट्र में इस विषाणू से मरने वाले लोगों कि तादात बढती जा रही है l
भारत कि जनता में आज कई ऐसे लोग है जिनके पास संसाधनो कि कमी है l रोज वे घर से बाहर निकलते है, तभी अपने परिवार के लिये रोटी का इंतजाम कर सकते है l मगर जब पुरा विश्व लॉक डाऊन है तब कई सारे परिवार इसकी चपेट में आना जायझ है, और हमे इन सबके बारे में सोचना बोहोत जरुरी है l ‘ब्लैक डेथ’ को दुनिया के इतिहास में सबसे खतरनाक महामारी के नाम से जाना जाता हैl हमे यानी समुचे विश्व को ये दोहराना नही है, अगर हम राज्य और केंद्र सरकार द्वारा बताये नियमो का पालन करेंगे तो हम अपने प्रीयजनो को दोबारा अपनी बाहोमें समेट सकते है l
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हमारी पिढी, जो ये सब हालात अपनी आखों दे देख-महसूस कर रही है, आने वाले समय में गवाह रहेंगे, कैसे इन्सान जैविक हथियार का शिकार हो रहा है.. कोरोना संक्रमण से बचने हेतू हम आज घर बैठे अपने प्रियजनो कि खुशहाली पुछ रहे है l जब हम उनके पास थे उससे कई गुना ज्यादा आज हमे उनके होने का अहसास सता रहा है l हमें एक दुसरे के प्रेम कि बोहोत जरुरत हैl
आज ‘विश्व रंगमंच दिवस’ पर विश्व का यह रंगमंच इन हालातो के चलते खाली रहने दे.. ताकी हम फिर एक नई शुरुवात कर स्वस्थ किरदार रंगमंच पर उतार सके ! सन १९६१ से ‘अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान’ द्वारा शुरू हुआ यह दिन शायद विश्व में पहली बार ‘सामाजिक दुरी’ बनाये मनाया जा रहा है l
अपना और अपने प्रियजनो का ख्याल रखीये.. अकेले रहे.. खुद का और राष्ट्र का ख्याल रखें..!
आज बनाई गई दुरीया कल के मिलन का भविष्य है !
सिर्फ मन कि दूरिया मत बढाइये.. ये तकलीफदेह है.. बोहोत !!
अत्तानं रखन्तो परमं रक्खती l
परमं रखन्तो अत्तानं रक्खती l – महात्मा बुद्ध
(Protecting oneself, one protects others’
Protecting others, one protecting oneself’- Lord Buddha)
( No image copyright, Thanks The Hindu/ ET)
Dhananjay Sable
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Thanks for comment JK